27 जुलाई 2015 को ’मिसाईल मैन’ और ’जनता के राष्ट्रपति’ के नाम से जाने जाने वाले अंतरिक्ष विज्ञान के सिरमोर एवं युवाओं के महान प्रेरणास्रोत डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के निधन से न केवल भारत को बल्कि सम्पूर्ण विश्व को जो अपूर्व क्षति हुई है, उस गमगीन माहौल में हर कोई मायूस हो बैठा था। यहाँ तक कि इस अपूर्व क्षति की संवेदना व्यक्त करते हुए भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, ग्रहमंत्री राजनाथ सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, दलाई लामा - तेनजिन ग्यात्सो, भुटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी, नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोेइराला, पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन एवं प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुसीलो बम्बनग युधोयोना, मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब रजाक, सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सियन सूंग, संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल नहयान तथा रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन सहित सम्पूर्ण विश्व के जाने-माने अन्तराष्ट्रीय व्यक्तित्वों ने डाॅ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के निधन पर उनको श्रद्धांजली देते हुए उनके प्रति जो दुःख, शोक एवं अपनी संवेदना व्यक्त की है उससे अनुमान लगाया जा सकता है कि 27 जुलाई 2015 को सम्पूर्ण विश्व ने कितना बड़ा व्यक्तित्व खो दिया।
आज 15 अक्टूबर 2015 का दिन उनके निधन के बाद प्रथम जयंती के रूप
में सम्पूर्ण विश्व मनाने जा रहा है। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की लगभग 84 वर्षों की जीवन यात्रा सम्पूर्ण मानव जगत के
लिए अनमोल और प्रेरणदायी रही है, आपने अपना
सम्पूर्ण जीवन मानव मात्र के लिए ही व्यतीत किया। एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्म
लेकर विकट परीस्थितियों के बावजूद भी अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अध्ययन कर
अंतरिक्ष अनुसंधान में अभूतपूर्व योगदान देकर एवं भारत के राष्ट्रपति पद को
सुशोभित कर ’मिसाईल मैन’
और ’जनता के राष्ट्रपति’ का गौरव प्राप्त
किया, आपकी यह प्रेरणदायी जीवन
यात्रा युगों-युगों तक सम्पूर्ण विश्व के लिए एक मिशाल सिद्ध होगी।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का संक्षिप्त जीवन परिचय -
आज ही के दिन 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम् (तमिलनाडू) के धनुषकोडी गाँव
में एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार में जन्मे असाधारण प्रतिभा के धनी ’मिसाईल मैन’ और ’जनता के
राष्ट्रपति’ के नाम से जाने
जाने वाले भारत के 11 वें निर्वाचित
राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम सम्पूर्ण विश्व के प्रेरणास्रोत हैं। जहाँ
आपके पिताजी परिवार के भरण-पोषण के लिए मछुआरों को नाव किराये पर देकर खर्चा चलाते
थे, वहीं आपने अपनी आरंभिक
शिक्षा जारी रखने के लिए अखबार वितरण का काम भी किया। अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक
की उपाधि प्राप्त करने के बाद 1962 में भारतीय
अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में निरन्तर कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं का
प्रतिनिधित्व किया। यहाँ परियोजना निदेशक के रूप में भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह
प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 के निर्माण में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाई इसी यान से जुलाई 1982 में रोहिणी उपग्रह को अंतरिक्ष में सफल प्रक्षेपित कर भारत
को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बनाया। अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में
भारत को विश्व परिवेश में अहम पहचान दिलाने वाले डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने
स्वदेशी तकनीक पर मिसाईल बनाने का कार्यक्रम तैयार कर पृथ्वी, त्रिशूल, अग्नी, आकाश, नाग के अलावा भारत व रूस के संयुक्त प्रयासों
से ’ब्रह्मोस’ नामक सुपरसोनिक क्रूज मिसाईल तैयार की।
’’इंतजार करने वालों
को सिर्फ उतना ही मिलता है,
जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं। ’’
जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं। ’’
- डॉ. ए.पी.जे.
अब्दुल कलाम
आपको भारत के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका,
यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, सिंगापुर आदि
देशों की चालीस से अधिक विश्वविद्यालयों और संस्थानों ने डाक्टरेट की मानद उपाधि
प्रदान करने के साथ ही भारत सरकार ने ’पù भूषण’, ’पù विभूषण’, ’वीर सावरकर
पुरस्कार’, एवं ’भारत रत्न’ जैसे सर्वोच्च नागरिक
पुरस्कार से सम्मानित किया है। वहीं स्वीटजरलैंड सरकार ने 2005 में आपके स्वीट्जरलैण्ड आगमन पर 26 मई को ’विज्ञान दिवस’ घोषित किया है तथा नेशनल स्पेस सोशायटी ने आपके अंतरिक्ष विज्ञान से संबंधित
परियोजनाओं के कुशलतापूर्वक संचालन और प्रबंधन के लिए आपको ’वाॅन ब्राउन अवार्ड’ से सम्मानित किया।
आपका सम्पूर्ण जीवन एक सफल वैज्ञानिक, आविष्कारक, राजनैतिक चिंतक, एवं प्रभावी शिक्षक के रूप में सम्पूर्ण विश्व के लिए समर्पित था। आपने जाति,
धर्म, और क्षेत्रवाद से ऊपर उठकर सम्पूर्ण विश्व को सर्वधर्म समभाव की शिक्षा दी है।
आपने जहाँ एक ओर अपने धर्म की श्रेष्ठ पुस्तक कुरान का गहन अध्ययन किया वहीं दूसरी
ओर भग्वद्गीता जैसे हिन्दू धर्म के महान धर्मग्रन्थ का अध्ययन किया आपने अपने
प्रेररणदायी उद्बोधनों से विश्वभर में कई विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों में
हजारों विद्यार्थियों को संबोधित कर सही राह दिखाई है तथा साहित्य जगत में अनेक
प्रेररणादायी, चिंतनपरक एवं
आत्मकथात्मक रचनाएं एवं पुस्तकें लिखकर अपना असीम ज्ञान का भण्डार खोलकर जिज्ञासु
विद्यार्थियों के अन्तर्मन में ज्ञान, सुचरित्र एवं सुसंस्कार के जो बीज बोये हैं वो समय-समय पर अंकुरित होकर उनके
जीवन में विशाल वटवृक्ष की भाँति विकसित होंगे एवं आपकी ही प्रेरणा से सम्पूर्ण
विश्व में ख्याति प्राप्त करेंगे।
यद्यपि आपके निधन से सम्पूर्ण विश्व को अपूर्व
क्षति अवश्य हुई है तथापि आपके 84 वर्षों का
संघर्षपूर्ण जीवन की प्रेरणा सम्पूर्ण विश्व के हर एक विद्यार्थी के अन्तर्मन में
युगों-युगों तक जीवित रहेगी।
''सपने वो नहीं जो
रात को सोते समय नींद में आये,
सपने तो वो होते
हैं जो रातों में सोने नहीं देते।''
- डॉ. ए.पी.जे.
अब्दुल कलाम
- सुखदेव 'करुण'
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