शुक्रवार, 17 जुलाई 2015

"दिल में क्यूं है"

ये दिल तुझे इतनी शिद्दत से चाहता क्यूं है,
हर सांस के साथ तेरा ही नाम आता क्यूं है,

तु कितना भी मुझसे सख्त ताल्लुक रख ले,
जिक्र फिर भी तेरा मेरी जबान पे आता क्यूं है,

यूं तो हैं कई फासलें तेरे मेरे बीच,
लगता फिर भी तु मुझको मेरी जान सा क्यूं है,

तेरी यादों में तड़पने की हो चुकी है आदत मेरी,
तेरे दूर होने का फिर भी अहसास मुझको रुलाता क्यूं है,

ये जानता हूं कि तु बहुत दूर है मुझसे,
मगर फिर भी एक आस तुझे पाने की इस दिल में क्यूं है।

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