क्या है साईबर क्राईम -
साईबर क्राईम या साईबर आतंकवाद का आविर्भाव 1980 के दशक में हुआ सन 2000 तक साइबर आतंकवाद में रूची बढने लगी और धीरे-धीरे विश्व के 65 प्रतिशत इंटरनेट उपभोक्ता इसके शिकार होने लगे और भारत में तो यह आंकड़ा 75 प्रतिशत को भी पार कर चुका है। हालांकी भारत में अब तक ज्यादा मामले दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चैन्नई जैसे महानगरों में ही सामने आये हैं फिर भी अब यह आमजन तक को प्रभावित करने से भी वंचित नहीं रहा है। इसके अन्दर कम्प्यूटर प्रणाली एवं इंटरनेट का प्रयोग कर सूचना तंत्र को कमजोर करते हुए विभिन्न विघटनकारी गतिविधियों को अंजाम देना, आमजन की आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक एवं राजनैतिक गतिविधियों को प्रभावित करते हुए उनको भयभीत करना आतंकवादी समूहों द्वारा अपनी गतिविधियों के संचालन हेतु सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग कर कम्प्यूटर तंत्र, नेटवर्कों एवं दूरसंचार प्रणाली के प्रयोग से जानकारी का आदन-प्रदान किया जाना इलेक्ट्रोनिक तरीके से धमकिया देना आदि शामिल है।
आए दिन सोशल साईटों पर किसी व्यक्ति विशेष या किसी सामाजिक, धार्मिक या राजनैतिक संगठन किसी राष्ट्र पर आपŸिाजनक एवं अपनाजनक टिप्पणियां करने ई-मेल द्वारा धमकी भरे संदेश प्रेषित करने इन्टरनेट अभिलेखों का दुरूपयोग करने, जाली वेबसाईटें बनाकर ठगी करने, प्रतिबंधित उत्पादों की आॅनलाईन बिक्री करने से संबंधित विभिन्न घटनाओं में तीव्रता से बढ़ोतरी हो रही है। कई कर्मचारियांे, अधिकारियों व जन सामान्य के ई-मेल पतों पर झूठे लाॅटरी व ईनाम जीतने से सम्बन्धित ई-मेल आते हैं जिनके झांसे में आकर आये दिन हर कोई ठगी का शिकार हो रहा है।
विश्व के समक्ष महान चुनौति ‘आतंकवाद’ भी अब साईबर क्राइम का सहारा प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपने तंत्र को गोपनीय सूचनाएं संपे्रषित करने, आमजन को इस प्रकार की गतिविधियों में बढ़चढ़ कर भाग लेने हेतु प्रेरित करने जैसे कार्याें में ले रहा है। विभिन्न आतंकी संगठनों द्वारा कई व्यक्तियों को प्रताडि़त करते हुए, उनको बम और गोलियों से मारते हुए जिन्दा जलाते हुए की विडियो क्लिपें या फोटोज इन्टरनेट पर विभिन्न सोशल साईटों पर अपलोड कर आम लोगों में दहशद का माहौल बनाया जा रहा है। कई लोगों द्वारा विभिन्न प्रचलित सोशल साईटों जैसे - फेसबुक, ट्वीटर, ब्लाॅग्स आदि पर फेक आईडी बनाकर विभिन्न अपराधिक गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है।
एक ओर वर्तमान में टेलीफोन और मोबाईल तंत्र से अनजान लोगों द्वारा अपने आप को बैंक के वरिष्ठ अधिकारी बताकर बैंक खाताधारकों से उनके खाते से सम्बन्धित सूचनाएं एवं एटीएम या डेबिट कार्ड की सूचनाएं मांगकर उनके खातों में से लाखों रूपये उड़ा लेने की कई घटनाएं सामने आई है जिनका समय रहते हुए भी कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है। इस प्रकार के अपराध वर्तमान तकनीकि युग में आम होते जा रहे हैं। दूसरी ओर विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों/संस्थाओं की वेबसाईटों को हेक कर उनके उपयोगी एवं गोपनीय आंकड़ों को क्षती पहुँचाई जा रही है जिससे ई-बैंकिंग और ई-काॅमर्स से सम्बन्धित गतिविधियां प्रभावित हो रही है साथ ही इनका उपयोग करने से आम आदमी कतरा रहा है।
इस प्रकार समूचे विश्व में इन्टरने एक ओर तो सुदृढ़ होता हुआ नजर आ रहा है परन्तु दूसरी ओर इस पर होने वाले अपराधों के आंकड़े भी तीव्रता से बढ़ने लगे हैं।
इन सब परिस्थितियों से निपटने के लिए एवं इन्टरनेट की दुनिया में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के लिए वर्तमान में सरकार द्वारा जो सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराई जा रही है तथा जगह-जगह पर जो साईबर थाने स्थापित किये गये हैं वो पहाड़ रूपी साईबर क्राईम के सामने राई के दाने के समान नजर आ रहे हैं।
साईबर क्राईम या साईबर आतंकवाद का आविर्भाव 1980 के दशक में हुआ सन 2000 तक साइबर आतंकवाद में रूची बढने लगी और धीरे-धीरे विश्व के 65 प्रतिशत इंटरनेट उपभोक्ता इसके शिकार होने लगे और भारत में तो यह आंकड़ा 75 प्रतिशत को भी पार कर चुका है। हालांकी भारत में अब तक ज्यादा मामले दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चैन्नई जैसे महानगरों में ही सामने आये हैं फिर भी अब यह आमजन तक को प्रभावित करने से भी वंचित नहीं रहा है। इसके अन्दर कम्प्यूटर प्रणाली एवं इंटरनेट का प्रयोग कर सूचना तंत्र को कमजोर करते हुए विभिन्न विघटनकारी गतिविधियों को अंजाम देना, आमजन की आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक एवं राजनैतिक गतिविधियों को प्रभावित करते हुए उनको भयभीत करना आतंकवादी समूहों द्वारा अपनी गतिविधियों के संचालन हेतु सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग कर कम्प्यूटर तंत्र, नेटवर्कों एवं दूरसंचार प्रणाली के प्रयोग से जानकारी का आदन-प्रदान किया जाना इलेक्ट्रोनिक तरीके से धमकिया देना आदि शामिल है।
आए दिन सोशल साईटों पर किसी व्यक्ति विशेष या किसी सामाजिक, धार्मिक या राजनैतिक संगठन किसी राष्ट्र पर आपŸिाजनक एवं अपनाजनक टिप्पणियां करने ई-मेल द्वारा धमकी भरे संदेश प्रेषित करने इन्टरनेट अभिलेखों का दुरूपयोग करने, जाली वेबसाईटें बनाकर ठगी करने, प्रतिबंधित उत्पादों की आॅनलाईन बिक्री करने से संबंधित विभिन्न घटनाओं में तीव्रता से बढ़ोतरी हो रही है। कई कर्मचारियांे, अधिकारियों व जन सामान्य के ई-मेल पतों पर झूठे लाॅटरी व ईनाम जीतने से सम्बन्धित ई-मेल आते हैं जिनके झांसे में आकर आये दिन हर कोई ठगी का शिकार हो रहा है।
विश्व के समक्ष महान चुनौति ‘आतंकवाद’ भी अब साईबर क्राइम का सहारा प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपने तंत्र को गोपनीय सूचनाएं संपे्रषित करने, आमजन को इस प्रकार की गतिविधियों में बढ़चढ़ कर भाग लेने हेतु प्रेरित करने जैसे कार्याें में ले रहा है। विभिन्न आतंकी संगठनों द्वारा कई व्यक्तियों को प्रताडि़त करते हुए, उनको बम और गोलियों से मारते हुए जिन्दा जलाते हुए की विडियो क्लिपें या फोटोज इन्टरनेट पर विभिन्न सोशल साईटों पर अपलोड कर आम लोगों में दहशद का माहौल बनाया जा रहा है। कई लोगों द्वारा विभिन्न प्रचलित सोशल साईटों जैसे - फेसबुक, ट्वीटर, ब्लाॅग्स आदि पर फेक आईडी बनाकर विभिन्न अपराधिक गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है।
एक ओर वर्तमान में टेलीफोन और मोबाईल तंत्र से अनजान लोगों द्वारा अपने आप को बैंक के वरिष्ठ अधिकारी बताकर बैंक खाताधारकों से उनके खाते से सम्बन्धित सूचनाएं एवं एटीएम या डेबिट कार्ड की सूचनाएं मांगकर उनके खातों में से लाखों रूपये उड़ा लेने की कई घटनाएं सामने आई है जिनका समय रहते हुए भी कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है। इस प्रकार के अपराध वर्तमान तकनीकि युग में आम होते जा रहे हैं। दूसरी ओर विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों/संस्थाओं की वेबसाईटों को हेक कर उनके उपयोगी एवं गोपनीय आंकड़ों को क्षती पहुँचाई जा रही है जिससे ई-बैंकिंग और ई-काॅमर्स से सम्बन्धित गतिविधियां प्रभावित हो रही है साथ ही इनका उपयोग करने से आम आदमी कतरा रहा है।
इस प्रकार समूचे विश्व में इन्टरने एक ओर तो सुदृढ़ होता हुआ नजर आ रहा है परन्तु दूसरी ओर इस पर होने वाले अपराधों के आंकड़े भी तीव्रता से बढ़ने लगे हैं।
इन सब परिस्थितियों से निपटने के लिए एवं इन्टरनेट की दुनिया में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के लिए वर्तमान में सरकार द्वारा जो सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराई जा रही है तथा जगह-जगह पर जो साईबर थाने स्थापित किये गये हैं वो पहाड़ रूपी साईबर क्राईम के सामने राई के दाने के समान नजर आ रहे हैं।
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